School Holidays Good News: ठंड का कर काफी ज्यादा बढ़ चुका है और जिस वजह से लंबी-लंबी छुट्टियां भी स्कूलों में मिलना शुरू हो चुकी हैं। अभी विंटर वेकेशन का काफी समय है कई प्रदेशों में विंटर वेकेशन की घोषणा भी हो गई है कि जितने भी पर्वतीय क्षेत्र यहां पर खास कर काफी ज्यादा लंबी छुट्टियां घोषित की गई है। क्योंकि यहां का जो तापमान है सोने से भी नीचे आ चुका है जितने भी लोग हैं वह काफी प्रभावित यहां पर हो जाते हैं।
पहाड़ी इलाकों में लंबी छुट्टियां घोषित की जाती हैं ताकि बच्चे ठंड और बर्फबारी से पूरी तरह से सुरक्षित रहे। स्कूलों में छुट्टियां को लेकर काफी बड़ी खबर आ चुकी है और सर्दियों में स्कूलों की छुट्टियां भी होनी शुरू हो चुकी हैं। हर वर्ष पर्वतीय इलाकों में सर्दियों में स्कूलों की छुट्टियां काफी ज्यादा रहती हैं। बात कर ले तो उत्तराखंड के देवभूमि की तो इस बार 25 दिसंबर से लेकर सीधा 31 दिसंबर तक यहां पर स्कूलों को बंद कर दिया गया है।
School Winter Holiday Today News
उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में भी गर्मियों में बहुत ज्यादा लू चलती है और तेवर गर्मी की वजह से स्कूलों में लंबी छुट्टियां यहां पर दे दिया जाता है हालांकि जो मैदानी इलाकों में पहाड़ी इलाकों की तुलना में सर्दियों की छुट्टियां बेहद कम रहती हैं। मैदानी इलाकों में 1 जनवरी से लेकर 15 जनवरी तक ही छुट्टियां यहां पर घोषित होती हैं और भौगोलिक अंतर की वजह से प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में छुट्टियों का जो समय है अलग-अलग दिया जाता है।
स्कूलों में सर्दियों की छुट्टियां घोषित होने की वजह से पढ़ाई लिखाई पर काफी बड़ा प्रभाव पड़ता है। शैक्षणिक सत्र प्रभावित होता है हालांकि शिक्षा विभाग के माध्यम से इसके लिए पहले से ही योजना बना रखा है। वेकेशन में बच्चों को होमवर्क और पढ़ाई हेतु अतिरिक्त काम यहां पर दिया जाता है जिस वजह से उन्हें कोई भी परेशानी ना हो और उनकी पढ़ाई भी घर पर चलती रहे। छुट्टियों के दौरान अभिभावकों की जिम्मेदारियां भी काफी बढ़ जाती है क्योंकि उन्हें बच्चों की पढ़ाई का बेहद ध्यान रखना पड़ता है और पढ़ाई का घर में माहौल भी देना पड़ता है।
सर्दी की छुट्टियां 31 जनवरी को खत्म हो रही हैं तो ऐसे में 1 फरवरी को जब स्कूल खुल जाते हैं तो लंबी छुट्टी की वजह से बच्चों की पढ़ाई के मोड में दोबारा लाने हेतु अलग-अलग कई एक्टिविटी यानी गतिविधियां करनी पड़ती हैं।सर्दियों की छुट्टियों के बाद इसको लाकर पढ़ाई करना छात्रों के लिए काफी मुश्किल हो जाता है और बच्चों को पढ़ना भी और बच्चों के लिए उसे तरह का माहौल तैयार करना भी शिक्षकों के लिए थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है।