Contract Employees Regularization Good News: सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से लंबे समय से कार्य दैनिक वेतन भोगी संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के आदेश को जारी कर दिया है और इस संबंध में काफी बड़ा आदेश पारित किया सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से सार्वजनिक स्थानों पर जो श्रमिक को दैनिक मजदूरी पर काम करने की जो प्रथा है उसकी कड़ी निंदा की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने स्वदेश में यह भी कहा है कि इन कर्मचारियों को प्रारंभिक नियुक्तियां अस्थाई होने की वजह से उन्हें रेगुलर करने से नहीं रोका जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से लाखों दैनिक वेतन भोगियों और संविदा कर्मचारियों के लिए काफी अच्छी खबर आ गई है सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से अब यह कहा गया है कि और इस आदेश में एक महत्वपूर्ण जिक्र किया है कोर्ट ने कहा है कि कर्नाटक राज्य बनाम उमा देवी के महत्वपूर्ण फैसले में स्थापित मिसाल को स्वीकार करते हुए दैनिक जो वेतन भोगी है और कर्मचारी हैं इन्हें संवैधानिक जरूरत और स्वीकृति रिएक्शन के अस्तित्व को पूरा करने हेतु बिना स्थाई रोजगार का दावा नहीं कर सकते हैं। पूरी जानकारियां संविदा कर्मचारियों के नियमित किए जाने को लेकर बताई गई हैं।
Contract Employees Regularization Latest News Today
सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से अपने आदेश में एक महत्वपूर्ण जगह किया है आदेश में यह जिक्र करते हुए यह कहा गया है कि फैसले का उपयोग लंबे समय से सेवा करने वाले जितने भी श्रमिक है उनके अधिकारियों से वंचित करने हेतु नहीं किया जा सकता है। जब यह कर्मचारी श्रमिक काम करते हैं तो स्वाभाविक रूप से स्थाई होते हैं उमा देवी नियुक्ति द्वारा भर्ती किए बिना वर्षों से चली आ रही शोषणकारी व्यवस्थाओं को सही ठहराने हेतु दल के रूप में काम नहीं कर सकता है। कोर्ट द्वारा यह भी साफ किया गया कि संविदा दैनिक वेतन भोगियों को उमादेवी फैसले के आधार बनाकर नियमितीकरण नहीं रोका जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्न भी बारले की खंडपीठ के माध्यम से गाजियाबाद नगर निगम की बागवानी विभाग में मलिक के रूप में कार्य करें अपील करता हूं की अपील पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण फैसला दिया गया है। कर्मचारी नगर निगम के प्रत्येक देखरेख में लगातार काम कर रहे थे लेकिन औपचारिक नियुक्त पत्र नियुक्त न्यूनतम मजदूरी वैधानिक लाभ और नौकरी की सुरक्षा से विभाग द्वारा पूरी तरह से इनकार किया गया था। इसके बाद कर्मचारियों ने नियतमतीकरण और वैधानिक लोगों की मांग विभाग से किया लेकिन विभाग ने 2005 में उनकी सेवाओं को बिना किसी लिखित आदेश के नोटिस दिए समाप्त कर दिया गया था।
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सुप्रीम कोर्ट में यह कर्मचारी गए और याचिका दाखिल की सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए जस्टिस नाथ के माध्यम से लिखे गए फैसले में स्वीकार किया कि स्थाई कर्मचारियों को सम्मान कार्य करने हेतु वर्षों से लगे हुए दैनिक वेतन भोगी संविदा कर्मचारियों को वेतन और लाभ से वंचित किया गया था। कोर्ट ने यह भी कहा है कि नगरपालिका का काम 12 महीने चलता है और कर्मचारी लगातार काम करते हैं जो कि विभाग द्वारा रेगुलर न करने और उन्हें किसी भी तरह का लाभ न देने के लिए केवल एक शोषण करने का यह एक माध्यम था।
सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से यह महत्वपूर्ण फैसला दिया गया है। कि नई भर्ती पर प्रतिबंध दैनिक वेतन भोगी श्रमिको पूर्व रेगुलर करने के लाभों से वंचित करने का कोई बहाना नहीं दे सकता है। कोर्ट ने उमा देवी मामले पर प्रतिवादी की निर्भरता कोई अभी तक करते हुए खारिज किया कि रेगुलर न करने का जो बहाना यह बिल्कुल नहीं हो सकता है। न्यायालय ने अपने आदेश में पूरी तरह से स्पष्ट किया उमा देवी का निर्णय दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों के नियंत्रण शोषण को उचित नहीं ठहराता है क्योंकि वह 12 महीने अपना काम और मेहनत ईमानदारी से करते हैं इसलिए 6 महीने के अंदर नियमती करण की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है।