Old Pension Scheme News: दिल्ली हाई कोर्ट के माध्यम से स्थाई कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिए जाने हेतु महत्वपूर्ण आदेश पारित किया गया है। दिल्ली हाई कोर्ट के माध्यम से दशकों की सेवा करने वाले अस्थाई कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना से संबंधित काफी महत्वपूर्ण आदेश को पारित किया गया है। हाई कोर्ट के माध्यम से यह भी आदेश जारी कर दिया गया है क्या स्थाई स्थिति में उनकी दशकों की सेवा को पेंशन लाभ से वंचित करने के अचित के रूप में इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता।
सरकारी कर्मचारियों के माध्यम से पुरानी पेंशन योजना की मांग काफी लंबे समय से की जा रही है। आप सभी की जानकारी के लिए बता दिया जाता है सरकारी कर्मचारी जो कि 1 अप्रैल 2005 के पहले जो भी ज्ञापन जारी हुए हैं और नियुक्ति भले ही बाद में हुई हो तो उन कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाएगा। ना कि जो 1 अप्रैल 2005 के बाद की नियुक्ति कर्मचारी हैं भी पुरानी पेंशन योजना का लाभ लेना चाह रहे हैं लेकिन सरकार उनके लिए भी पुरानी पेंशन योजना को लागू नहीं किया है। हालांकि संविदा कर्मियों हेतु काफी बड़ी खबर आ गई है।
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दिल्ली हाई कोर्ट के माध्यम से एक ऐसा आदेश जारी किया गया है जिसे हजारों अस्थाई सेवा करने वाले कर्मचारियों के लिए काफी अच्छी खबर है और काफी बड़ी संख्या है अस्थाई तौर पर कर्मी दशकों से लगातार कार्य कर रहे हैं और लेकिन उन्हें रेगुलर कर्मचारियों की तरह बिल्कुल भी लाभ नहीं दिया जा रहा है ना ही पेंशन के लिए उन्हें योग्य माना जा रहा है याचिकाकर्ता के माध्यम से 20 वर्ष से अधिक समय से विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पदों पर काम ही किया था।
हाईकोर्ट ने कर्मचारियों को अस्थाई रोजगार की स्थिति में रखे के लंबे समय से जो चली आ रही प्रथम है इसकी आलोचना किया है आप सभी की जानकारी के लिए बता देते हैं याचिकाकर्ता 1980 से एएसआई के साथ संविदा कर्मचारियों की तरह ही लगातार कार्य कर रहे थे और संविदा के तौर पर जुड़े होने की वजह से उन्हें पेंशन का हकदार बिल्कुल भी नहीं माना गया था। जिसे हाई कोर्ट ने खारिज करते हुए पेंशन दिए जाने का निर्देश भी दे दिया है। संविदा कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन देने से संबंधित यह महत्वपूर्ण आदेश दिल्ली हाईकोर्ट के नए मूर्ति से हरिशंकर और न्यायमूर्ति अजय दिगपाल की खंडपीठ के माध्यम से दिया गया है।
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हाई कोर्ट के खंडपीठ के माध्यम से याचिकाकर्ताओं को पेंशन से वंचित करने वाले आदेश को पूरी तरह से रद्द कर दिया है। जिनमें से सभी ने 2010 से लेकर 2014 के बीच रिटायर होने से पहले 2 दशकों से अधिक का समय पर संविदा की नौकरी किया था। हाई कोर्ट ने यह माना है कि संविदा कर्मचारी नियमित कर्मचारियों के समान पेंशन पाने का भी अब हकदार है।
सम्बंधित अधिकारियों को 8 सप्ताह में उनका बकाया जारी किए जाने का भी निर्देश जारी किया है। किसी भी देरी की स्थिति में न्यायालय ने उनकी सहमति के तीसरे भुगतान किए जाने तक 12% प्रतिवर्ष की दर से ब्याज भी लगाया है और कोर्ट ने कहा है कि अस्थाई अनुबंध मूल रूप से अल्पकालिक या मौसमी जरूरत हेतु ही था। लेकिन अब इसका दुरुपयोग कर्मचारियों को उनके मिलने वाले उचित लबों से वंचित करने हेतु किया जा रहा है जो कि पूरी तरह से अनुचित है।